न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।
ज्ञान के समान पवित्र इस संसार में कुछ नहीं है।।
There is nothing more pure in this world than knowledge(Gyana)
विधिक प्रास्थिति भारत का संविधान के भाग 17 में अनुच्छेद 343 से 351 तक राजभाषा संबंधी प्रावधान विहित हैं I संविधान के अनुच्छेद 343 के खंड (1) में हिंदी को संघ की राजभाषा के रूप में मान्यता प्रदान की गयी है, जिसकी लिपि देवनागरी होगी । और संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए होने वाले अंको का रूप भारतीय अंको का अंतरराष्ट्रीय रूप होगा । अनुच्छेद 351 में उल्लेख किया गया हैं कि संघ का यह कर्तव्य होगा कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढाए, उसका विकास करे, जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके । राजभाषा हिन्दी को संघ के शासकीय कार्यो में प्रभावी रूप से क्रियान्वित करने के लिए राजभाषा अधिनियम, 1963 (समय-समय पर यथा संशोधित) को प्रख्यापित किया गया हैं तथा तत्संबंधी राजभाषा (संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग) नियम, 1976 (समय-समय पर यथा संशोधित) को भी प्रख्यापित किया हैं । उपर्युक्त के अतिरिक्त राजभाषा हिन्दी प्रभावी रूप से क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रपति के आदेश, 1960 और संसद के दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा द्वारा 1968 में राजभाषा संकल्प के नाम से संकल्प पारित किया गया हैं । उपर्युक्त के दृष्टिगत भारती महाविद्यालय में राजभाषा अनुभाग का गठन वर्ष 2021 में किया गया। जो सभी विभागों को अनुवाद संबंधी व अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने, आवश्यकतानुसार अधिकारियों/कर्मचारियों को राजभाषा हिंदी में शासकीय कार्यो को संपादित करने के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करना, भारत सरकार द्वारा समय-समय पर जारी राजभाषा संबंधी उपबंधो एवं नियमों के अधीन जारी आदेशों, अनुदेशों का अनुपालन, राजभाषा कार्यान्वयन समिति की बैठक आयोजित करना, कार्यवृत्त तैयार करना और महाविद्यालय में परिचालित करना, हिंदी तिमाही प्रतिवेदन (रिपोर्ट) समेकित करना और इसे राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय भारत सरकार को प्रेषित करना, महाविद्यालय में राजभाषा हिंदी के प्रगामी प्रयोग हेतु अपेक्षित परिपत्र जारी करना, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय भारत सरकार, शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से प्राप्त आदेशो/अनुदेशों का अनुपालन करना एवं पत्रादि का उत्तर देना, आधिकारियों/ कर्मचारियों के हिंदी ज्ञान से संबंधित रोस्टर तैयार करना, हिंदी दिवस/सप्ताह/पखवाड़ा का आयोजन करना तथा इस अवधि में विभिन्न कार्यक्रमों/ प्रतियोगिताओं का आयोजन करना, राजभाषा हिंदी के प्रचार-प्रसार के नवाचार के क्रम में सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से प्रचार-प्रसार करना, महाविद्यालय में संघ की राजभाषा नीति का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित जैसे महत्वपूर्ण भूमिका को संपादित करता हैं।